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अगली बारी आईएएस अधिकारियों, डॉक्टरों और सरकारी अधिकारियों की हो सकती है

जाति-आधारित अत्याचारों को केवल गाँवों की क्रूर वास्तविकता के रूप में देखा जाता था, जहाँ जाति व्यवस्था को खुलेआम और हिंसक तरीके से लागू किया जाता है। शहरों में जाति भेदभाव एक मूक मुखौटा पहनकर रहता है — ऑफिसों, अस्पतालों और सरकारी दफ़्तरों की चारदीवारी के भीतर छिपा हुआ।

लेकिन अब ऐसा नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश गवई पर हाल ही में हुआ हमला इस सच्चाई का कड़वा प्रमाण है कि जातिगत घृणा अब चार दिवारी से बाहर आ गई है। जब देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को भी जाति के आधार पर निशाना बनाया जा सकता है, तो दलित आईएएस अधिकारियों, डॉक्टरों और सरकारी अधिकारियों के लिए इसका क्या मतलब है?
अगली बारी आईएएस अधिकारियों, डॉक्टरों और सरकारी अधिकारियों की हो सकती है! 

यह सिर्फ़ एक घटना नहीं है। यह एक संदेश है!

: ॲड. प्रकाश आंबेडकर 
राष्ट्रीय अध्यक्ष, वंचित बहुजन आघाडी

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