ये निर्णय न सिर्फ़ शोषित वर्ग के साथ अन्याय है, बल्कि उन शर्तों से विश्वासघात है, जिनके आधार पर इन संस्थानों की स्थापना हुई थी। ये फैसला बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सामने सर झुकाने वाली @myogi_adityanath सरकार के दोहरे चरित्र को भी उजागर करती है। क्योंकि मेरे संज्ञान में आया है कि सरकार की तरफ से पक्ष रखने वालों ने भी हाईकोर्ट में इस फैसले पर सहमति जताई।
याद रखिए, इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण समाज कल्याण विभाग की विशेष घटक योजना से 70% बजट लगाकर हुआ था। उस समय यह स्पष्ट किया गया था कि जिस मद से निर्माण होगा, उसी के अनुरूप अनुसूचित जाति–जनजाति वर्ग को विशेष आरक्षण मिलेगा और MBBS सीटों का आवंटन भी उसी आधार पर होगा। लेकिन हाईकोर्ट का यह फैसला उस ऐतिहासिक न्याय और सामाजिक उद्देश्य को बेरहमी से रौंदता है।
@azadsamajpartyk समाज के जागरूक लोगों और संगठनों से तालमेल बनाकर हाईकोर्ट के इस फैसले को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती तो देंगे ही लेकिन साथ ही योगी सरकार से अपील करती है कि अगर वास्तव में वह अपने आप को दलित हितैषी कहती है तो इस बात को साबित करे और विधानसभा में कानून बनाकर इन 4 मेडिकल कॉलेजों का विशेष आरक्षण बरकरार रखे।
मैं फिर से दोहराता हूं अगर सरकार और कोर्ट से इंसाफ नहीं मिला तो @upgovt का असली चेहरा समाज के सामने लाने के लिए दिल्ली से लखनऊ तक पैदल मार्च करूंगा।
यह यात्रा सिर्फ मेरे कदमों की नहीं होगी, बल्कि करोड़ों वंचितों की आवाज़ बनेगी।
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