साथ ही महात्मा तथागत बुद्ध ने "अत दिप
भव" का उपदेश देकर दिपदानोत्सव को नया आयाम दिया।
कार्तिक अमावस्या की रात्री को महान योद्धा सम्राट अशोक ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से चौरासी हजार
धम्म स्तंभ स्कंधो के स्थापना पश्चात उद्घाटनोस्तव संपन्न किया था।
पूर्ण भारत में दिपमालाएँ व पुष्पमालाएँ सजाकर मनाया आओ अपनी प्राचीन विस्तृत विरासत को पुनर्जीवित करते हुए डॉ बाबासाहब जी अम्बेडकर द्ववारा प्रशस्त मार्ग पर चलते हुए समस्त भारत को बुद्धमय करने का प्रण लेते हैैं।
- पँथर कवी किरण

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